एक मां के प्राण उसके बच्चों में बसते हैं। उनके बिना वह अधूरी है। ठीक उसी तरह भगवान के लिए उनके भक्त हैं, जिसके बिना वे अधूरे हैं।
बच्चे यदि पल भर के लिए भी मां से जुदा हो जाते हैं, तो वह व्याकुल हो जाती है। बच्चे पर थोडा सा कष्ट भी उनके लि...ए चिंता का कारण बन जाता है।
बच्चा खेल-खेल में भले ही मां को भूल जाए, मां उसकी पल-पल की सुध लेती रहती है। भगवान भी अपने सच्चे भक्त को एक पल के लिए भी नहीं भूलते हैं।
भगवान के संदेशवाहक
हीरा अपने आप में बहुमूल्य है, पूर्ण है। लेकिन वह तब तक अधूरा है, जब तक हीरे का पारखी न केवल उसकी तारीफ करे, बल्कि उसे अपनी आंखों में भी बसाए। ठीक उसी तरह, भक्त ही हैं, जो भगवान के गुणों का बखान करते हैं और उनके संदेश को प्रवचन के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाते हैं। कहते हैं कि चैतन्य महाप्रभु ने अपनी सच्ची भक्ति से प्रभु का दर्शन पा लिया था। इसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन श्रीकृष्ण के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए समर्पित कर दिया
!! राम राम !!
बच्चे यदि पल भर के लिए भी मां से जुदा हो जाते हैं, तो वह व्याकुल हो जाती है। बच्चे पर थोडा सा कष्ट भी उनके लि...ए चिंता का कारण बन जाता है।
बच्चा खेल-खेल में भले ही मां को भूल जाए, मां उसकी पल-पल की सुध लेती रहती है। भगवान भी अपने सच्चे भक्त को एक पल के लिए भी नहीं भूलते हैं।
भगवान के संदेशवाहक
हीरा अपने आप में बहुमूल्य है, पूर्ण है। लेकिन वह तब तक अधूरा है, जब तक हीरे का पारखी न केवल उसकी तारीफ करे, बल्कि उसे अपनी आंखों में भी बसाए। ठीक उसी तरह, भक्त ही हैं, जो भगवान के गुणों का बखान करते हैं और उनके संदेश को प्रवचन के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाते हैं। कहते हैं कि चैतन्य महाप्रभु ने अपनी सच्ची भक्ति से प्रभु का दर्शन पा लिया था। इसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन श्रीकृष्ण के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए समर्पित कर दिया
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