कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा ।।
- (स्कन्दपुराण, उत्तरखण्ड, नारद-सनत्कुमार संवाद , पंचम अध्याय । ५१ )
श्री राम जी का नाम, केवल श्री राम नाम हीं मेरा जीवन है | कलियुग में राम नाम के सिवाय और किसी उपाय से जीवो कि सद्गति नही होती, नहीं होती, नहीं होती |
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