Wednesday, March 14, 2012

' राम '

रामेति द्वयक्षरजपः सर्वपापापनोदकः ।
गच्छन् तिष्ठञ्शयानो वा मनुजो रामकीर्तनात् ।।

इह निर्वितितो याति चान्ते हरिगणो भवेत् ।
रामेति द्वयक्षरो मन्त्रो मन्त्रकोटिशताधिकः ।।

न रामादधिकं किञ्चित् पठनं जगतीतले ।
रामनामाश्रया ये वै न तेषां यमयातना ।।

रमते सर्वभुतेषु स्थावरेषु चरेषु च ।
अन्तरात्मस्वरुपेण यच्च रामेति कथ्यते ।।

रामेति मन्त्रराजोऽयं भवव्याधिनिषुदकः ।
रामचन्द्रेति रामेति रामेति समुदाहृतः ।।

द्वयक्षरो मन्त्रराजोऽयं सर्वकार्यकरो भुवि ।
देवा अपि प्रगायन्ति रामनाम गुणाकरम् ।।

तस्मात् त्वमपि देवेशि रामनाम सदा वद ।
रामनाम जपेद यो वै मुच्यते सर्वकिल्विषैः ।।

(स्कन्दपुराण, नागरखण्ड)

भगवान् शंकर जी देवी पार्वती से कहते हैं -
' राम ' यह दो अक्षरों का मन्त्र जपने पर समस्त पापों का नाश करता है | चलते, खड़े हुए अथवा सोते समय (जिस किसी भी समय ) जो मनुष्य राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहाँ कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान हरि का पार्षद बनता है (विष्णु रूप लेता है) | ' राम ' यह दो अक्षरों का मन्त्र शत कोटि (१०० करोड़) मंत्रो से भी अधिक प्रभाव रखता है (मन्त्रकोटिशताधिकः)|


राम नाम से बढ़ कर जगत में जप करने योग्य कुछ भी नही है |
जिन्होंने राम नाम का आश्रय ले रखा है उन्हें यम यातना नही भोगनी पड़ती |

जो मनुष्य अन्तरात्मस्वरुप से राम नाम का उच्चारण करता है , वह स्थावर-जंगम सभी भूत प्राणियों में रमण करता है (अर्थात वह ब्रह्म समान हो जाता है)|


' राम ' यह मन्त्र-राज है (मन्त्रराजोऽयं, अर्थात् परम-मंत्र है), यह भव रुपी व्याधि का नाश करने वाला है (अर्थात भवसागर से तारने वाला है)| रामचंद्र, राम, राम - इस प्रकार उच्चारण करने पर यह दो अक्षरों का मन्त्र-राज पृथ्वी में समस्त कार्यों को सफल करता है | गुणों की खान इस राम नाम को देवतालोग भी भलीभांति गान करते हैं |


अतएव हे देवेश्वरि ! तुम भी सदा राम नाम का जप किया करो |
जो राम नाम का उच्चारण (जप) किया करता है, वह सारे पापों से (पूर्वकृत एवं वर्तमान सूक्ष्म और स्थूल पापों से और समस्त पाप वासनाओं से सदा के लिए) छुट जाता है |

No comments:

Post a Comment