Saturday, August 25, 2012

भरत चला रे .. अपने भैया को मनाने .

भरत चला रे .. अपने भैया को मनाने ..
भगत चला रे .. प्रभु दर्शन पाने ..

राम दरश की उर अभिलाषा
बोले नयन प्रेम की भाषा ..
राम स्वाति-जल भरत पपिहरा
स्वाति-बूँद बिन तृप्त ना जियरा ..

वियोगी चला रे .. जी की जरन मिटाने ..
भरत चला रे .. अपने राजा को मनाने ..

अवध राम को अर्पण करने
प्रभुता प्रभु चरणों में धरने ..
राजतिलक के साज सजा के
माताएं चलीं संग प्रजा के ..

राजा का अधिकार .. राजा को लौटाने ..
भरत चला रे .. अपने भैया को मनाने ..

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