Saturday, August 25, 2012

भरत चला रे .. अपने भैया को मनाने .

भरत चला रे .. अपने भैया को मनाने ..
भगत चला रे .. प्रभु दर्शन पाने ..

राम दरश की उर अभिलाषा
बोले नयन प्रेम की भाषा ..
राम स्वाति-जल भरत पपिहरा
स्वाति-बूँद बिन तृप्त ना जियरा ..

वियोगी चला रे .. जी की जरन मिटाने ..
भरत चला रे .. अपने राजा को मनाने ..

अवध राम को अर्पण करने
प्रभुता प्रभु चरणों में धरने ..
राजतिलक के साज सजा के
माताएं चलीं संग प्रजा के ..

राजा का अधिकार .. राजा को लौटाने ..
भरत चला रे .. अपने भैया को मनाने ..

Wednesday, March 14, 2012

सच्ची भक्ति

एक मां के प्राण उसके बच्चों में बसते हैं। उनके बिना वह अधूरी है। ठीक उसी तरह भगवान के लिए उनके भक्त हैं, जिसके बिना वे अधूरे हैं।

बच्चे यदि पल भर के लिए भी मां से जुदा हो जाते हैं, तो वह व्याकुल हो जाती है। बच्चे पर थोडा सा कष्ट भी उनके लि...ए चिंता का कारण बन जाता है।

बच्चा खेल-खेल में भले ही मां को भूल जाए, मां उसकी पल-पल की सुध लेती रहती है। भगवान भी अपने सच्चे भक्त को एक पल के लिए भी नहीं भूलते हैं।

भगवान के संदेशवाहक

हीरा अपने आप में बहुमूल्य है, पूर्ण है। लेकिन वह तब तक अधूरा है, जब तक हीरे का पारखी न केवल उसकी तारीफ करे, बल्कि उसे अपनी आंखों में भी बसाए। ठीक उसी तरह, भक्त ही हैं, जो भगवान के गुणों का बखान करते हैं और उनके संदेश को प्रवचन के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाते हैं। कहते हैं कि चैतन्य महाप्रभु ने अपनी सच्ची भक्ति से प्रभु का दर्शन पा लिया था। इसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन श्रीकृष्ण के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए समर्पित कर दिया

!! राम राम !!

RAM












भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥1॥ 


कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥2॥ 

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥3॥

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा॥4॥  

दोहा : बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥

श्री राम

Baby Rama 
रामो विग्रहवान् धर्मः साधुः सत्यपराक्रमः।
राजा सर्वस्य लोकस्य देवानामिव वासवः॥ [VAlmiki RAmAyaNa 3-37-13]


"Shri Rama is the embodiment of righteousness, he is sadhu (noble, equable person) with truthfulness as his valour and as Indra to all gods, he (Lord Rama) is the king of the entire world. 
               
                                                      (रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
                                                      रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥

                            

                                                                       !! राम राम !!

जय श्री हनुमान


                                            रामात् नास्ति परोदेवो रामात् नास्ति परंव्रतम् ।
                                             न हि रामात् परोयोगो न हि रामात् परोमखः ।।

       
                   
                    !! राम राम !!

नमामि रामं रघुवंशनाथम

Supreme Purusa Lord Rama, The most Superior

(नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम।
पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम॥

!! राम राम !!

Lord Krishna to Maharaja Yudhisthira:


Lord Krishna to Maharaja Yudhisthira:

श्रीरामनामामृत मंत्रबीज संजीवनी चेन्मनसि प्रविष्टा |
हालाहलं वा प्रलयानलं वा मृत्योर्मुखं वा विशतां कुतो भीः ||

श्रीशब्दपूर्वं जयशब्दमध्यं जयद्वयनापि पुनः प्रयुक्तम् |
त्रिःसप्तकृत्वो रघुनाथ नाम जपान्निहन्या द्विजकोटिहायाः ||

[Ananda-RamayaNa ManoharkaaNDa 7.44, 45]

!! भगवान श्री कृष्ण !!


राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरूम् |
क्षणं न विस्मृतिं याति सत्यं सत्यं वचो मम् ||

( श्री आदि पुराण )

श्री आदि पुराण में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि
मैं जगद्गुरु श्री राम नाम का निरंतर
प्रेम पूर्वक स्मरण करता रहता हूँ,
क्षणमात्र भी नहीं भूलता हूँ | अर्जुन मैं सत्य सत्य कहता हूँ |


Lord Krshna to Arjuna:

I always chant 'Śrī Rāma' Naam with adoration and great love. 'Śrī Rāma' Naam is Jagadguru guru of all worlds, the eternal preceptor). Even for a single moment, I can't miss to chant Śrī Rām Naam. O Arjuna, My words are verily true, true and true alone .

' राम '

रामेति द्वयक्षरजपः सर्वपापापनोदकः ।
गच्छन् तिष्ठञ्शयानो वा मनुजो रामकीर्तनात् ।।

इह निर्वितितो याति चान्ते हरिगणो भवेत् ।
रामेति द्वयक्षरो मन्त्रो मन्त्रकोटिशताधिकः ।।

न रामादधिकं किञ्चित् पठनं जगतीतले ।
रामनामाश्रया ये वै न तेषां यमयातना ।।

रमते सर्वभुतेषु स्थावरेषु चरेषु च ।
अन्तरात्मस्वरुपेण यच्च रामेति कथ्यते ।।

रामेति मन्त्रराजोऽयं भवव्याधिनिषुदकः ।
रामचन्द्रेति रामेति रामेति समुदाहृतः ।।

द्वयक्षरो मन्त्रराजोऽयं सर्वकार्यकरो भुवि ।
देवा अपि प्रगायन्ति रामनाम गुणाकरम् ।।

तस्मात् त्वमपि देवेशि रामनाम सदा वद ।
रामनाम जपेद यो वै मुच्यते सर्वकिल्विषैः ।।

(स्कन्दपुराण, नागरखण्ड)

भगवान् शंकर जी देवी पार्वती से कहते हैं -
' राम ' यह दो अक्षरों का मन्त्र जपने पर समस्त पापों का नाश करता है | चलते, खड़े हुए अथवा सोते समय (जिस किसी भी समय ) जो मनुष्य राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहाँ कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान हरि का पार्षद बनता है (विष्णु रूप लेता है) | ' राम ' यह दो अक्षरों का मन्त्र शत कोटि (१०० करोड़) मंत्रो से भी अधिक प्रभाव रखता है (मन्त्रकोटिशताधिकः)|


राम नाम से बढ़ कर जगत में जप करने योग्य कुछ भी नही है |
जिन्होंने राम नाम का आश्रय ले रखा है उन्हें यम यातना नही भोगनी पड़ती |

जो मनुष्य अन्तरात्मस्वरुप से राम नाम का उच्चारण करता है , वह स्थावर-जंगम सभी भूत प्राणियों में रमण करता है (अर्थात वह ब्रह्म समान हो जाता है)|


' राम ' यह मन्त्र-राज है (मन्त्रराजोऽयं, अर्थात् परम-मंत्र है), यह भव रुपी व्याधि का नाश करने वाला है (अर्थात भवसागर से तारने वाला है)| रामचंद्र, राम, राम - इस प्रकार उच्चारण करने पर यह दो अक्षरों का मन्त्र-राज पृथ्वी में समस्त कार्यों को सफल करता है | गुणों की खान इस राम नाम को देवतालोग भी भलीभांति गान करते हैं |


अतएव हे देवेश्वरि ! तुम भी सदा राम नाम का जप किया करो |
जो राम नाम का उच्चारण (जप) किया करता है, वह सारे पापों से (पूर्वकृत एवं वर्तमान सूक्ष्म और स्थूल पापों से और समस्त पाप वासनाओं से सदा के लिए) छुट जाता है |

श्री शिव पुराण

श्री रामेति परं नाम सकलेश्वरमादि देवं,
धन्या जना भुवितले सततं स्मरन्ति |
तेषां भवेत्परम् मुक्ति प्रयत्नतः तथा,
श्रीरामभक्तिरचला विमला प्रसाददा ||

(श्री शिव पुराण)


श्री शिव पुराण में श्री शिव जी ने श्री नारद जी से कहा है कि श्री राम नाम सक्लेश्वर (अर्थात विष्णु, कृष्ण के भी इश्वर है, विष्णु, कृष्ण, शिव, हनुमान सभी राम नाम हीं गाते हैं ) आदि देव हैं | जो इस नाम का सतत स्मरण करते हैं ,भूतल में वही धन्य हैं | उन्हें परम मुक्ति ( श्री साकेत की प्राप्ति ) तथा अचल विमल भक्ति एवं श्री राघव जी के कृपा प्रसाद सब मिलेंगे |

* श्री रामेति परं नाम - श्री राम नाम हीं प्रभु का परम नाम है |
* धन्या जना भुवितले : प्रभु श्री राम का नाम लेने वाले हीं धन्य हैं इस धरती पे |

In Shiva-PurAna, Lord Shiva says to Sage Narada: O', Sage Narada, The name 'Rama' is the god of all gods, the primeval god of universe. Those souls are really the most fortunate ones who always chant 'Rama' Nama in their daily life (even during their other works). By grace of Lord Rama, they who always chant Rama Nama easily get the supreme devotion in lotus feet of lord Rama and the supreme abode, Saket-Dhaam at the time of death.

पद्म-पुराण

                                         तन्मुखं तु महातीर्थ तन्मुखं क्षेत्रमेव च ।
                                         यन्मुखे राम रामेति तन्मुखं सार्वकामिकं ||

                                         (-पद्म-पुराण , उत्तरखण्ड ७१/३४ )


                                      

 जिस मुख में राम - राम का जाप होता रहता है वह मुख ही महान तीर्थ है, वह मुख हीं प्रधान क्षेत्र है तथा वही  सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है |

                                    

राम की महिमा


Śrī Rāma Naam is equal to billion times repition of all Mantra!! 


                        



जपतः सर्वमन्त्रांश्च सर्ववेदांश्च पार्वति।
तस्मात् कोटिगुणं पुण्यं रामनाम्नैव लभ्यते॥

( -पद्म-पुराण , उत्तरखण्ड २८१/३४ )

      


एकसाथ सभी मंत्रो का और सभी वेदों का जाप करने से जो दिव्य फल प्राप्त होगा, उस फल का करोड़-गुना फल मात्र एक राम नाम के उच्चारण से हीं प्राप्त हो जाता है |

In Padma-PurAna, Lord Shiva Says to Parvati:
The divine fruits one achieves by chanting all other Mantras and all the Vedas; billions of times of that fruits one can easily obtain just by uttering RAma-nAma!!
(-Shri Padma-PurAna, UttarKhanda 281/34)

श्रीपद्मपुराण



सर्वेषां वेदशास्त्राणां रहस्यंतेप्रकाशितम् ।
एको देवो रामचंद्रो व्रतं एको तदर्चनम् ।
मंत्रोऽप्येकश्च तन्नाम शास्त्रं तद् ध्येवतत्स्तुतिः ।।
तस्मात् सर्वात्मना रामचंद्रंभजमनोहरम् ।
यथा गोष्पवदवत्तुच्छो भवेत् संसारसागरः ।।

(- श्रीपद्मपुराण , पातालखण्ड ३५।५१ - ५२ )


सभी वेदों और शास्त्रों में यही रहस्य प्रकाशित है कि -
हम मनुष्यों के लिए एक हीं भगवान हों - प्रभु श्री रामचंद्र;
एक हीं व्रत हों - प्रभु राम का अर्चन
एक हीं मंत्र हों - उनका नाम ( अर्थात 'राम' )
और एक हीं शास्त्र हों - जहाँ उनकी स्तुति हो (अर्थात 'रामायण')
इसलिए सभी मनुष्यों को श्री राम का परम मनोहर भजन करना चाहिए यदि वो इस संसार सागर को गौ के पग (गो-पद) के सामान लाँघ जाना चाहते हैं तो |

All Veda-s and scriptures reveal the mystery in one voice for all human-beings,
Let there be only one God for whole world - Śrī Rāma;
(why? because Rama alone is the supreme)
Only one religious vow - worship of Śrī Rāma, alone;
Only one hymn (Mantra) for prayer - Śrī Rāma's name i.e. 'Rāma' Naam;
and Only one scripture - where Śrī Rāma's exploits are sung i.e. Rāmāyanam;
if we are eager to cross the ocean of mundane existence just like mere crossing a foot-print of cow. Hence we, human-beings should always sing and chant the name of Supreme Lord Rama, the prince charming of Ayodhya. (Padma-Purana, 5.35.51-52)

                                                                   !! राम राम !!

श्रीरामपूर्वतापनीय उपनिषद

                                                     


                                         इति रामपदेनासौ परंब्रह्माभिधियते ।।

                                           (- श्रीरामपूर्वतापनीय उपनिषद १।६ )
                                                        

जिस अनन्त, नित्यानन्द और चिन्मय परमब्रह्म में योगी लोग रमण करते हैं, उसी राम पद (शब्द) से परमब्रह्म प्रतिपादित होता है, अर्थात राम नाम हीं परमब्रह्म है |


                                        

॥ श्रीः ॥ ॥ सीताराम ॥ ॥ श्रीमद् जानकीवल्लभो विजयतेतराम् ॥



रामनामैव नामैव नामैव मम् जीवनम् ।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा ।।

- (स्कन्दपुराण, उत्तरखण्ड, नारद-सनत्कुमार संवाद , पंचम अध्याय । ५१ )




श्री राम जी का नाम, केवल श्री राम नाम हीं मेरा जीवन है | कलियुग में राम नाम के सिवाय और किसी उपाय से जीवो कि सद्गति नही होती, नहीं होती, नहीं होती |